शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

ठुकराओ अब के प्यार करो मैं नशे में हूँ

ठुकराओ अब के प्यार करो मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ

अब भी दिला रहा हूँ यक़ीन-ए-वफ़ा मगर
मेरा न ऐतबार करो, मैं नशे में हूँ

गिरने दो तुम मुझे मेरा सागर सम्भाल लो
इतना तो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ

मुझको क़दम क़दम पे भटकने दो वाइज़ों
तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ

फिर बेख़ुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ
इतना न मुझसे प्यार करो, मैं नशे में हूँ

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Vocabulary:
सागर = wine glass, wine cup
वाइज़ = wise-man, (the one who stops from drinking)
बेख़ुदी = in-ecstasy, senseless

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Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Thukrao ab ke pyar karo mein nashey mein hun

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

This Gazal is Written by Shahid Kabir