प्यार मुझ से जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालात की आँधी मॆं बिखर जाओगी
रंज ओर दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िंदा हुँ
ख़्वाब क्युँ देखुँ वो कल जिस पे मैं शर्मिन्दा हुँ
मैं जो शर्मिन्दा हुआ तुम भी तो शर्माओगी
क्युँ मेरे साथ कोई ओर परेशान रहे
मेरी दुनिया है जो विरान तो विरान रहे
ज़िंदगी का यह सफ़र तुम पे तो आसान रहे
हमसफ़र मुझको बनाओगी तो पछताओगी
एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने
अभी गुंजेंगे मुहब्बत के तराने कितने
ज़िंदगी तुमको सुनायेगी फ़साने कितने
क्यूँ समझाती हो मुझे भूल नहीं पाओगी
शुक्रवार, 10 अगस्त 2007
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