शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

कोई ये कैसे बताये कि वो

कोई ये कैसे बताये कि वो तन्हा क्यूँ हैं..
वो जो अपना था और किसी का क्यूँ हैं..
यही दुनिया हैं तो ऐसी ये.. दुनिया क्यूँ है..
यही होता है तो आखिर यही होता क्यूँ है,

इक जरा हाथ बढा दे तो पकड ले दामन
उसके सीने मे समा जाये हमारी धडकन
इतनी कुरबत है तो फिर फासला इतना क्यूँ है

दिले-बर्बाद से निकला नही अबतक कोई
एक लूटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गई फिर से बधाँता क्यूँ है

तुम मस्सरत का कहो या इसे गम का रिश्ता
कह्ते है प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यूँ है

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Vocabulary:
कुरबत = accessibility, closeness, nearness, intimacy
फासला = distance
मस्सरत = happiness, joy

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Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Koi ye kaise bataye ke vo tanaha kyun hai

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