शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

सदमा तो है मुझे भी के तुझसे जुदा हूँ मैं

सदमा तो है मुझे भी के तुझसे जुदा हूँ मैं
लेकिन ये सोचता हूँ के अब तेरा क्या हूँ मैं

बिखरा पड़ा है तेरे घर में तेरा वजूद
बेकार महफिलों में तुझे ढूँडता हूँ मैं

ना जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है के सब कुछ तेरा हूँ मैं

ले मेरे तजुर्बों से सबक़ ऐ मेरे रक़ीब
दो-चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं

--------------------------------
सदमा : shock
जुदा : separated
वजूद : existence
अदा : style
तजुर्बों से : from experiences
सबक़ : lesson/learnings
रक़ीब : lover

कोई टिप्पणी नहीं: