शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

हम को दुश्मन की निगाहों से

हम को दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
प्यार ही प्यार हैं हम हम पे भरोसा कीजे

चन्द यादों के सिवा हाथ न कुछ आयेगा
इस तरह उम्र-ए-गुरेज़ाँ का न पीछा कीजे

रोशनी औरों के आँगन में गवारा न सही
कम से कम अपने ही घर में तो उजाला कीजे

क्या ख़बर कब वो चले आयेंगे मिलने के लिये
रोज़ पलकों पे नई शमएं जलाया कीजे

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Vocabulary:
भरोसा = to believe
चन्द = few
उम्र-ए-गुरेज़ाँ =
पीछा = to follow
रोशनी = light, luminescence
उजाला = light, luminescence


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Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Humko dushman ki nigahon se

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