होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो
न उमर की सीमा हो
न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई
तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम
ये रीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
जग ने छीना मुझसे
मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे
मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना
मेरी जीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
आकाश का सूनापन
मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम
आजाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी
संगीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
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Hothon se choo lo tum mera geet amar kar do
शुक्रवार, 10 अगस्त 2007
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