शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

मोहब्बत मे नहीं है फर्क जीने और मरने का
उसी को देखके जीते है जिस काफिर पे दम निकले

खुदा के वास्ते पर्दा ना क़ाबे से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा ना हो यां भी वही काफिर सनम निकले

कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते है कल, वो जाता था के हम निकले

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Vocabulary:
ख्वाहिश = demand, desire, request
अरमान = wish
खुल्द = heaven, paradise
आदम = Adam (Adam & Eve)
कूचे = street, lane
काफिर = sweetheart, ungrateful, non-believer
क़ाबे = God's place (house of Allah in Mecca)
मैखाने = wine-house
वाइज़ = preacher, advisor, religious wise-man, (the one who advises not to drink)

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Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Hajaron khwahishe aisi ki har khwahish pe dum

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