चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
बाहज़ारां इज़्तिराब-ओ-सदहज़ारां इश्तियाक
तुझसे वो पहले पहल दिल का लगाना याद है
तुझसे मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा
और तेरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है
खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़्फ़ातन
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छिपाना याद है
ग़ैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तेरा चोरीछिपे रातों को आना याद है
आ गया गर वस्ल की शब भी कहीं ज़िक्र-ए-फ़िराक़
वो तेरा रो-रो के मुझको भी रुलाना याद है
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिये
वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है
देखना मुझको जो बर्गश्ता तो सौ सौ नाज़ से
जब मना लेना तो फिर ख़ुद रूठ जाना याद है
चोरी चोरी हम से तुम आकर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
बेरुख़ी के साथ सुनाना दर्द-ए-दिल की दास्तां
और तेरा हाथों में वो कंगन घुमाना याद है
वक़्त-ए-रुख़सत अलविदा का लफ़्ज़ कहने के लिये
वो तेरे सूखे लबों का थरथराना याद है
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Vocabulary:
बाहज़ारां = thousand times
इज़्तिराब = (बेचैनी) anxiety
सदहज़ारां = once
इश्तियाक = (चाहत)desire
बेबाक = outspoken
दफ़्फ़ातन = suddenly
वस्ल = date/ meeting
ज़िक्र-ए-फ़िराक़ = mention of seperation
कोठे पे = on the terrace
बर्गश्ता = (रूठा हुआ) against, upset
बावजूद = Inspite of
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Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Chupke chupke raat din
शुक्रवार, 10 अगस्त 2007
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