शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशां क्यूं हो
उँगलियाँ उठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ
चूड़ियों पर भी कई तन्ज़ किये जायेंगे
कांपते हाथों पे भी फ़िक़रे कसे जायेंगे
लोग ज़ालिम हैं हर इक बात का ताना देंगे
बातों बातों मे मेरा ज़िक्र भी ले आयेंगे
उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
वर्ना चेहरे के तासुर से समझ जायेंगे
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात न करना उनसे
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी

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बेवजह : without reason
परेशां : worried
तन्ज़ : taunts
फ़िक़रे : comments
ज़ालिम : cruel
ज़िक्र : talk
असर : effect
तासुर : feelings/expressions
सवालात : questions

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