मैं भूल जाऊँ तुम्हें, अब यही मुनासिब है
मगर भूलना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ?
कि तुम तो फिर भी हक़ीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं
यहाँ तो दिल का ये आलम है, क्या कहूँ...कमबख़्त
भुला सका न ये वो सिलसिला जो था ही नहीं
वो इक ख़याल जो आवाज़ तक गया ही नहीं
वो एक बात जो मैं कह नहीं सका तुम से
वो एक रब्त जो हम में कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ?
कि तुम तो फिर भी हक़ीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं
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Vocabulary:
मुनासिब = appropriate, proper, suitable
आलम = condition, situation, state
सिलसिला = link, linkage, sequence, series
रब्त = affinity, bond, attachment, relationship
Search Strings:
Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Mein bhool jaun tumhe ab ye hi
शुक्रवार, 10 अगस्त 2007
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