आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुआँ
उठता तो है घटा सा, बरसता नहीं धुआँ
चूल्हे नहीं जलाये या बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गये हैं अब, उठता नहीं धुआँ
आँखों के पोंछने से लगा आँच का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से, छुपता नहीं धुआँ
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमान ये घर में आयें तो, चुभता नहीं धुआँ
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Vocabulary:
आँच = flame, warmth, fervor
मरासिम = relations, relationships
Search Strings:
Lyrics, गज़ल, Ghazal, Gazal, जगजीत सिंह, जगजीत सिंग, Jagjit Singh,
Aankhon mein jal raha hai kyun
शुक्रवार, 10 अगस्त 2007
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