शुक्रवार, 10 अगस्त 2007

दर्द बढ कर फुगाँ ना हो जाये

दर्द बढ कर फुगाँ ना हो जाये
ये ज़मीं आसमाँ ना हो जाये

दिल में डूबा हुआ जो नश्तर है
मेरे दिल की ज़ुबाँ ना हो जाये

दिल को ले लीजिए जो लेना हो
फिर ये सौदा गराँ ना हो जाये

आह कीजिए मगर लतीफ़-तरीन
लब तक आकर धुआँ ना हो जाये

-------------------------------
फुगाँ : lamentation
ज़मीं : earth
आसमाँ : sky
नश्तर : dagger
ज़ुबाँ : voice
सौदा : bargain
गराँ : costly
आह : sigh
लतीफ़-तरीन : pleasant
धुआँ : smoke

कोई टिप्पणी नहीं: