मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने
अब गुज़ारेगा मेरे साथ ज़माने कितने
मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन
सोचता हूँ मुझे आये थे उठाने कितने
जिस तरह मैं ने तुझे अपना बना रखा है
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने
तुम नया ज़ख़्म लगाओ तुम्हें इस से क्या है
भरने वाले हैं अभी ज़ख़्म पुराने कितने
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बुधवार, 21 अक्टूबर 2015
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